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Friday, August 4, 2023

कहां राजा भोज- कहां गंगू तेली यह कहावत क्यों बनी ? जानिए सच्ची कहानी।

अपने बचपन से लेकर आज तक हजारों बार हमने सुना है कि "कहां राजा भोज- कहां गंगू तेली"। इस कहावत को हमेशा धनी और गरीब के बीच तुलना के लिए समझाया जाता था।


परंतु, जब हम भोपाल गए तो हमें अचरज हुआ कि इस कहावत का कोई अर्थ धनी और गरीबी से नहीं है। और न ही किसी गंगू तेली से संबंधित है। वास्तव में, गंगू तेली नामक व्यक्ति तो खुद राजा थे। जब यह बात पता चली तो हम बहुत हैरान हुए। इससे हमें यह समझ में आया कि कब्बडी की भांति घुमक्कड़ी ज्ञान को बढ़ाने के लिए आवश्यक है। बहुत सी ऐसी बातें होती हैं जिन पर हमने कभी ध्यान नहीं दिया होता, और यह जानकर हमें हंसी आती है। यह कहावत हम सभी के लिए एक सबक है जो आज तक इसे धनी और गरीबी की तुलना में उपयोग करते आए हैं।


यह कहावत मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल और उसके जिला धार से जुड़ी हुई है, भोपाल का पुराना नाम भोजपाल था। इस नाम का उत्थान धार के राजा भोजपाल से हुआ था। समय के साथ इस नाम में से "ज" शब्द गायब हो गया और नाम भोपाल बन गया।


अब, चलिए कहावत की पृष्ठभूमि के बारे में जानते हैं। कहावत का कहना है कि कलचुरी के राजा गांगेय (जिसे गंगू के नाम से भी जाना जाता था) और चालूका के राजा तेलंग (जिसे तेली के नाम से भी जाना जाता था) ने एक बार राजा भोज के राज्य पर हमला कर दिया था। लड़ाई में राजा भोज ने इन दोनों राजाओं को परास्त कर दिया। इस घटना के बाद इस कहावत को प्रसिद्ध किया गया। "कहां राजा भोज-कहां गंगू तेली"। राजा भोज की विशाल प्रतिमा भोपाल के वीआईपी रोड के पास झील में स्थापित है।


कहां राजा भोज- कहां गंगू तेली यह कहावत क्यों बनी ? भोपाल का पुराना नाम, गंगू तेली,


चित्र - झील में स्थापित राजा भोज की प्रतिमा। Copied 

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