History : प्रागैतिहासिक काल को प्रागैतिहासिक काल क्यों कहते हैं ?
इतिहास से पूर्व (Prachin Bharat ka Itihas) प्रागैतिहासिक काल, भारतीय इतिहास की वह अवधि है जो इतिहास के लिखित प्रमाणों से पहले होती है। यह अवधि हमें भारतीय सभ्यता के मौलिक रूप, जीवन-शैली, और सांस्कृतिक विकास के बारे में जानकारी प्रदान करती है। चलिए, हम इस प्राचीन अवधि को कुछ मुख्य शब्दों में समझें:
आदिवासी सभ्यता: प्रागैतिहासिक काल में भारतीय सभ्यता की आदि आदिवासी समुदायों से होती है। इन समुदायों का जीवन गांवों में, नदी किनारे और जंगलों में बसा होता था। वे अपने परंपरागत जीवनशैली, शिकार-संग्रह, और प्राचीन कला के माध्यम से अपने आस-पास के परिवेश का संरक्षण करते थे।
प्राचीन भारतीय संस्कृति: भारतीय प्राचीन सभ्यता की स्थापना हजारों वर्ष पहले हो गई थी। इस समय के लोग अपनी जीवनशैली में धर्म, ध्यान, और शास्त्रों को महत्व देते थे। यहां वेद, उपनिषद, और वैदिक साहित्य का उदय हुआ।
सिंधु-घाटी सभ्यता: इस समय के लोग सिंधु और सरस्वती नदियों के किनारे बसे हुए थे, जिनकी सभ्यता को हम सिंधु-सरस्वती सभ्यता के नाम से जानते हैं। यह सभ्यता नागर, मोहेंजोदारो, हड़प्पा, और लोथल आदि स्थलों पर अपना विकास कर चुकी थी।
उपकला और प्रौद्योगिकी का उदय: प्रागैतिहासिक काल में लोगों ने उपकला और प्रौद्योगिकी में विशेष महत्व दिया। वे लेह, मिट्टी, सोना, चाँदी, और पाषाण के सामग्री का उपयोग करते थे। सोने के सिक्के, स्वर्ण के समान, सोने के आभूषण आदि प्रागैतिहासिक काल की प्रमुख वस्तुओं में शामिल होते हैं।
प्रागैतिहासिक काल ( Prachin Bharat ka Itihas) भारतीय इतिहास की यह महत्वपूर्ण अवधि है जो हमें हमारी सभ्यता और सांस्कृतिक धरोहर के मौलिक सिद्धांतों के बारे में समझने में मदद करती है। यहां हम अपनी भूमिका का विस्तार करते हैं और नवीन संस्कृति की उत्थान की प्रक्रिया को समझते हैं।
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