दासता स्वीकार न करने पर अंग्रेजों ने काट लिया था यहां के राजा हरि प्रसाद मल्ल का सिर ।
Deoria: उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में स्थित चिल्लूपार क्षेत्र के नरहरपुर स्टेट का किला न केवल एक स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है, बल्कि यह भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (1857) की ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी भी है। इस किले का इतिहास वीरता, संघर्ष और बलिदान की अद्भुत कहानियों से भरा हुआ है, जिनमें से एक है राजा हरि प्रसाद मल्ल की अडिग स्वतंत्रता प्रेम और उनकी बलिदानी गाथा।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
1857 का स्वतंत्रता संग्राम भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। यह संग्राम ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय सैनिकों, रजवाड़ों और आम जनता द्वारा लड़ा गया था। नरहरपुर स्टेट के राजा हरि प्रसाद मल्ल भी इस संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे। उन्होंने अंग्रेजों के अत्याचार और उनकी दासता को स्वीकारने से स्पष्ट रूप से इंकार कर दिया था।
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Deoria: चिल्लूपार, नरहरपुर स्टेट का किला। |
राजा हरि प्रसाद मल्ल की वीरता
राजा हरि प्रसाद मल्ल ने अपने राज्य और प्रजा की स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया। उनका साहस और वीरता अंग्रेजों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई थी। उनकी निडरता और स्वतंत्रता के प्रति उनकी अडिग निष्ठा ने अंग्रेजों को भयभीत कर दिया था। अंग्रेजों ने उन्हें पराजित करने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन वे अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो सके।
बलिदान की गाथा
अंततः अंग्रेजों ने छल और कपट का सहारा लिया। उन्होंने राजा हरि प्रसाद मल्ल को पकड़ने के लिए धोखाधड़ी की योजना बनाई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। राजा हरि प्रसाद मल्ल ने ब्रिटिश दासता स्वीकार करने से साफ इनकार कर दिया। उनके इस अडिग रुख से क्रोधित होकर अंग्रेजों ने उन्हें मौत की सजा सुना दी। उनकी सजा को क्रूरता की हद तक बढ़ाते हुए, अंग्रेजों ने उनका सिर काट दिया।
किले का ऐतिहासिक महत्व
नरहरपुर किला आज भी राजा हरि प्रसाद मल्ल के बलिदान और वीरता की कहानी सुनाता है। यह किला स्वतंत्रता संग्राम के समय की कई घटनाओं का गवाह है और इसके दीवारों में आज भी उन संघर्षों की प्रतिध्वनि सुनाई देती है। किले के भीतर स्थित स्मारक और संरचनाएँ उस समय की गाथाओं को जीवित रखे हुए हैं।
वर्तमान स्थिति
वर्तमान में, नरहरपुर किले की स्थिति संरक्षण की मांग करती है। इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को देखते हुए, इसके पुनर्निर्माण और संरक्षण के प्रयास किए जा रहे हैं। स्थानीय प्रशासन और पुरातत्व विभाग इसके संरक्षण के लिए सक्रिय हैं, लेकिन इसके पूर्ण संरक्षण के लिए और अधिक संसाधनों और प्रयासों की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
नरहरपुर स्टेट का किला न केवल एक स्थापत्य धरोहर है, बल्कि यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण प्रतीक भी है। राजा हरि प्रसाद मल्ल की वीरता और बलिदान की कहानी आज भी हमें प्रेरणा देती है और हमारे इतिहास की गौरवशाली धरोहर को जीवित रखती है। इस किले का संरक्षण और प्रचार-प्रसार हमारी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक है।
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