Poppy seeds: खसखस (पॉपी सीड्स) अफीम के पौधे से प्राप्त होते हैं, लेकिन इनका अफीम से कोई सीधा संबंध नहीं होता। खसखस को अफीम के पौधे के सूखे फल (कैप्सूल) से निकाला जाता है, जबकि अफीम (ओपियम) एक अलग प्रक्रिया से प्राप्त होता है। आइए जानें कि खसखस कैसे बनता है और खसखस की खेती कैसे की जाती है:
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Poppy seeds |
खसखस का उत्पादन
पौधारोपण (Sowing):
खसखस के बीजों को शरद ऋतु (अक्टूबर-नवंबर) में बोया जाता है।
बीजों को अच्छी तरह से जोती हुई मिट्टी में बोया जाता है।
एक एकड़ भूमि के लिए लगभग 4-5 किलो बीज की आवश्यकता होती है।
निगरानी और देखभाल:
नियमित रूप से सिंचाई की जाती है, खासकर प्रारंभिक चरण में जब पौधे बढ़ रहे होते हैं।
पौधों की अच्छी वृद्धि के लिए खरपतवारों को हटाना आवश्यक होता है।
फूल और फलों का विकास:
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पापी सीड्स |
खसखस के पौधे में फूल आने के बाद, फल (कैप्सूल) विकसित होते हैं।
इन फलों के पकने पर, वे पीले या भूरे रंग के हो जाते हैं।
खसखस का संग्रहण:
कैप्सूल के सूख जाने के बाद, उन्हें पौधे से तोड़ लिया जाता है।
इन सूखे कैप्सूलों को मसलकर बीज अलग किए जाते हैं।
प्राप्त बीजों को अच्छी तरह से सुखाकर संग्रहित किया जाता है।
खसखस की खेती
मिट्टी और जलवायु:
खसखस की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है।
इसे उगाने के लिए ठंडा और शुष्क जलवायु सबसे अच्छा होता है।
खाद और उर्वरक:
अच्छे उत्पादन के लिए जैविक खादों का उपयोग किया जाता है।
नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश युक्त उर्वरकों का संतुलित प्रयोग किया जाता है।
रोग और कीट प्रबंधन:
खसखस के पौधों पर लगने वाले रोग और कीटों से बचाव के लिए जैविक और रासायनिक उपाय किए जाते हैं।
खसखस का उपयोग
खाद्य पदार्थ: खसखस का उपयोग कई खाद्य पदार्थों में किया जाता है, जैसे कि मिठाइयाँ, ब्रेड, केक, और ग्रेवी।
औषधीय गुण: खसखस में औषधीय गुण भी होते हैं और यह नींद लाने में सहायक होता है।
तेल: खसखस से तेल भी निकाला जाता है, जो खाना बनाने में और औषधीय उपयोग में आता है।
इस प्रकार, खसखस ( Poppy seeds) की खेती एक सुनियोजित प्रक्रिया है जिसमें उचित देखभाल और प्रबंधन की आवश्यकता होती है। अफीम के पौधे से खसखस का उत्पादन एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो खाद्य और औषधीय उद्योग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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